Thursday, September 26, 2024

संयुक्तराष्ट्र महासभा के 79वें सत्र में राष्ट्रपति बाइडेन का वक्तव्य

Department of State United States of America

अनुवादअमेरिकी विदेश विभाग केसौजन्य से



व्हाइट हाउस
सितंबर 24, 2024

संयुक्तराष्ट्र मुख्यालय
न्यूयॉर्क सिटी, न्यूयॉर्क

पूर्वाह्न 10:12 ईडीटी

राष्ट्रपति: मेरे साथी नेताओं, आज अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में चौथी बार यूएन महासभा को संबोधित करने का सम्मान मिला है। मेरे लिए यह ऐसा आखिरी मौक़ा होगा।

मैंने इतिहास का एक उल्लेखनीय दौर देखा है। मैं किसी ओहदे पर पहली बार 1972 में एक अमेरिकी सीनेटर के रूप में चुना गया था। वैसे, मुझे पता है कि मैं केवल 40 वर्ष का दिखता हूं। मैं ये जानता हूं। (खिलखिलाहट।)

मैं 29 वर्ष का था। उस समय, हम इतिहास के एक मोड़ पर थे, तनाव और अनिश्चितता के क्षण से गुजर रहे थे। शीतयुद्ध के कारण दुनिया विभाजित थी। मध्य पूर्व युद्ध की ओर बढ़ रहा था। अमेरिका वियतनाम में युद्धरत था, और उस वक़्त, वो अमेरिकी इतिहास का सबसे लंबा युद्ध था।

हमारा देश विभाजित और आक्रोशित था, और हमारी शक्ति और हमारे भविष्य पर सवाल उठ रहे थे। लेकिन तब भी, मैं निराशा के साथ नहीं बल्कि सार्वजनिक जीवन में उम्मीदों से सराबोर आया था।

अमेरिका और दुनिया उस दौर से निकल आया है। यह ना तो आसान या सरल था, ना ही अहम नाकामियों के बिना ऐसा हो सका। लेकिन हम हथियारों पर नियंत्रण के ज़रिए परमाणु हथियारों के ख़तरे को कम करने की दिशा में आगे बढ़े, और फिर शीतयुद्ध को ही समाप्त कर दिया। इज़रायल और मिस्र ने युद्ध किया, लेकिन फिर ऐतिहासिक शांति स्थापित की। हमने वियतनाम में युद्ध को खत्म किया।

पिछले साल हनोई में मेरी वियतनामी नेतृत्व से मुलाक़ात हुई और हम अपनी साझेदारी को उच्चतम स्तर पर पहुंचा चुके हैं। यह मानवीय स्वभाग के लचीलेपन और मेल-मिलाप की क्षमता का प्रमाण है कि आज अमेरिका और वियतनाम साझेदार और मित्र हैं, और यह इस बात का सबूत है कि युद्ध की भयावहता के बीच भी आगे बढ़ने का रास्ता होता है। चीज़ें बेहतर हो सकती हैं।

हमें इस बात को कभी नहीं भूलना चाहिए। मैंने अपने पूरे करियर में ऐसा होते देखा है। 1980 के दशक में, मैंने दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेद के खिलाफ़ आवाज़ उठाई, और फिर आगे मैंने नस्लवादी शासन को ढहते हुए देखा।

1990 के दशक में, मैंने मिलोसेविच को युद्धपराधों के लिए जवाबदेह ठहराने के लिए काम किया। उन्हें जवाबदेह ठहराया गया।

स्वदेश में, मैंने महिलाओं के खिलाफ़ हिंसा अधिनियम तैयार किया और पारित कराया, ताकि ना केवल अमेरिका में बल्कि दुनिया भर में महिलाओं और बालिकाओं के खिलाफ़ हिंसा के अभिशाप को समाप्त किया जा सके, जैसा कि आपमें से कई लोगों ने भी किया है। लेकिन हमें अभी भी बहुत कुछ करना है, खासकर युद्ध और आतंक के हथियार के रूप में बलात्कार और यौन हिंसा के खिलाफ़।

9/11 को अल-क़ायदा और ओसामा बिन लादेन ने हम पर हमला किया था। हमने उसको सज़ा दी।

उसके बाद, मैं संकट और अनिश्चितता के एक और दौर में राष्ट्रपति पद पर आया। मेरा मानना ​​था कि अमेरिका को आगे देखना चाहिए। नई चुनौतियां, नए खतरे, नए अवसर हमारे सामने थे। हमें खुद को ऐसी स्थिति में रखना था कि हम खतरों को देख सकें, चुनौतियों से निपट सकें और अवसरों का लाभ उठा सकें।

हमें 9/11 से शुरू हुए युद्ध के दौर को खत्म करने की ज़रूरत थी। राष्ट्रपति ओबामा के उपराष्ट्रपति के रूप में, उन्होंने मुझे इराक़ में सैन्य अभियानों को विराम देने की दिशा में काम करने के लिए कहा। और हमने ऐसा किया, चाहे वो जितना भी पीड़ादायक था।

जब मैं राष्ट्रपति के पद पर आया, तो अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध के रूप में अफ़ग़ानिस्तान ने वियतनाम की जगह ले ली थी। मैं इसे खत्म करने के लिए दृढ़प्रतिज्ञ था, और मैंने ऐसा किया। यह एक कठिन निर्णय था, लेकिन सही निर्णय था।

चार अमेरिकी राष्ट्रपतियों के सामने उस फ़ैसले कि ज़िम्मेदारी आई थी, और मैं इसे पांचवें के लिए नहीं छोड़ने पर अड़ा था। यह एक ऐसा निर्णय था जिससे एक त्रासदी आ जुड़ी। एक आत्मघाती बम में सैकड़ों अफ़ग़ानों के साथ 13 बहादुर अमेरिकियों ने भी अपनी जान गंवाई। मैं उन खोई ज़िंदगियों के बारे में रोज़ सोचता हूं।

मैं उस युद्ध के 20 वर्षों के दौर में 2,461 अमेरिकी सैनिकों की मौतों के बारे में सोचता हूं। वहां 20,744 अमेरिकी सैनिक अपनी ज़िम्मेमदारी निभाते हुए घायल हुए थे। मैं उनकी सेवा, उनके बलिदान और उनकी वीरता के बारे में सोचता हूं।

मैं जानता हूं कि हमारे पक्ष में लड़ते हुए अन्य देशों ने भी अपने सैनिकों को खोया है। हम उनके बलिदानों का भी सम्मान करते हैं।

भविष्य का सामना करने के लिए, मैं अपने देश के गठबंधनों और साझेदारियों के उस स्तर तक पुनर्निर्माण के लिए भी प्रतिबद्ध था, जो पहले नहीं देखा गया था। हमने किया — हमने ठीक वैसा ही किया, परंपरागत संधि गठबंधनों से लेकर अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत के साथ क्वाड जैसी नई साझेदारियों तक।

मैं जानता हूं — मैं जानता हूं कि बहुत से लोगों को आज दुनिया में मुश्किलें दिखती हैं और उनकी प्रतिक्रिया निराशा भरी होती हैं, लेकिन मैं ऐसा नहीं करता। ऐसा नहीं करूंगा।

नेताओं के रूप में, हमारे पास यह विकल्प नहीं है।

मैं यूक्रेन से लेकर गाज़ा, सूडान और उससे आगे की चुनौतियों को पहचानता हूं: युद्ध, भूख, आतंकवाद, क्रूरता, अभूतपूर्व संख्या में लोगों का विस्थापन, जलवायु संकट, लोकतंत्र पर खतरा, हमारे समाजों के भीतर तनाव, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के लाभ और इसके अहम खतरे। सूची लंबी है।

लेकिन शायद मैंने जो कुछ भी देखा है और विगत दशकों में हमने साथ मिलकर जो कुछ भी किया है, उसके कारण मुझे उम्मीद है। मुझे पता है कि आगे एक रास्ता निकलता है।

आयरिश कवि विलियम बटलर ने, 1919 में, दुनिया का वर्णन करते हुए कहा था, उन्हीं के शब्दों में, "चीजें बिखर रही हैं; संस्थाएं बेअसर हैं; दुनिया में बस अराजकता है।"

कुछ लोग कह सकते हैं कि ये शब्द न केवल 1919 की बल्कि 2024 की दुनिया का भी वर्णन करते हैं। लेकिन मैं एक अहम अंतर देखता हूं।

हमारे समय में, संस्थाएं क़ायम हैं। हर क्षेत्र और राजनीतिक विचारधार के नेता और लोग एकजुट खड़े हुए हैं। हमने सदी की सबसे गंभीर महामारी को हरा दिया। हमने सुनिश्चित किया कि कोविड हमारे जीवन पर आगे हावी ना रहे। हमने यूएन चार्टर की रक्षा की और एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में यूक्रेन के अस्तित्व को सुनिश्चित किया। मेरे देश ने जलवायु और स्वच्छ ऊर्जा में इतिहास का सबसे बड़ा निवेश किया है।

हमेशा ऐसी ताक़तें रहेंगी जो हमारे देशों और दुनिया में अलगाव लाती हैं: आक्रामकता, उग्रवाद, अराजकता और निराशावाद, दुनिया से पीछे हटने और अकेले चलने की चाहत।

हमारा काम, हमारी चुनौती यह सुनिश्चित करना है कि हमें एकजुट रखने वाली ताक़तें उन ताक़तों से अधिक मज़बूत हों जो हमें अलग करती हैं, कि साझेदारी के सिद्धांत – जिन्हें क़ायम रखने के लिए हम हर साल यहां आते हैं – चुनौतियों का सामना कर सकें, कि संस्थाएं एक बार फिर से अक्षुण्ण साबित हों।

मेरे साथी नेताओं, सचमुच मैं ये मानता हूं कि हम विश्व इतिहास में फिर से एक मोड़ पर हैं जहां हमारे आज चुने गए विकल्प, आने वाले दशकों के लिए हमारे भविष्य का निर्धारण करेंगे।

क्या हम उन सिद्धांतों के साथ चलेंगे जो हमें एकजुट करते हैं? क्या हम आक्रामकता के खिलाफ़ दृढ़ हैं? क्या हम आज चल रहे संघर्षों को समाप्त करेंगे? क्या हम जलवायु परिवर्तन, भूख और बीमारी जैसी वैश्विक चुनौतियों का सामना करेंगे? क्या हम क्रांतिकारी नई प्रौद्योगिकियों के अवसरों और जोखिम के लिए अभी से योजना बनाएंगे?

मैं आज उन सभी निर्णयों और कार्यों के बारे में बात करना चाहता हूं, जो मेरे विचार में हमें करने चाहिए।

सबसे पहले, इस संस्था में हममें से प्रत्येक ने यूएन चार्टर के सिद्धांतों के लिए, आक्रामकता के खिलाफ़ खड़े होने के लिए प्रतिबद्धता जताई है। जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया, तो हम बस खड़े होकर विरोध जता सकते थे। लेकिन उपराष्ट्रपति हैरिस और मुझे लगा कि यह उन सब चीजों पर हमला है जिनकी ये संस्था नुमाइंदगी करती है।

और इसलिए मेरे निर्देश पर, अमेरिका ने आगे बढ़कर व्यापक सुरक्षा और आर्थिक एवं मानवीय सहायता देने का काम किया। हमारे नैटो सहयोगी और साझेदार तथा 50 से अधिक राष्ट्र भी साथ खड़े हुए। लेकिन सबसे अहम, यूक्रेनी लोग स्वयं खड़े हुए। और मैं इस कक्ष में मौजूद लोगों से उनके लिए खड़े होने का आह्वान करता हूं।

अच्छी बात ये है कि पुतिन का युद्ध और उनका मूल उद्देश्य विफल हो गया है। वे यूक्रेन को नष्ट करने चले थे, लेकिन यूक्रेन अभी भी स्वतंत्र है। वे नैटो को कमज़ोर करने चले थे, लेकिन नैटो पहले से कहीं अधिक बड़ा, मज़बूत और एकजुट है, दो नए सदस्यों फ़िनलैंड और स्वीडन के साथ। लेकिन हम ढिलाई नहीं दिखा सकते।

दुनिया को अब एक और विकल्प चुनना है: क्या हम यूक्रेन को इस युद्ध में जीतने और अपनी स्वतंत्रता क़ायम रखने के लिए अपना समर्थन जारी रखेंगे, या पीछे हट जाएंगे और आक्रामकता को फिर से शुरू होने देंगे और एक राष्ट्र को नष्ट होने देंगे?

मुझे अपना जवाब पता है। हम थक नहीं सकते। हम नज़रें नहीं फेर सकते। और, हम यूक्रेन को अपना समर्थन कम नहीं करेंगे,तब तक नहीं जब तक यूक्रेन यूएन चार्टर पर आधारित न्यायपूर्ण और स्थायी शांति नहीं पा लेता। (तालियां।)

हमें अपने सिद्धांतों को बरकरार रखने की भी आवश्यकता है, जब हम चीन के साथ प्रतिस्पर्धा को ज़िम्मेदारी से प्रबंधित करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि यह संघर्ष में न बदले। हम अपने लोगों और हर जगह के लोगों की भलाई के लिए तात्कालिक चुनौतियों पर सहयोग करने के लिए तैयार हैं।

हमने हाल ही में घातक सिंथेटिक नशीले द्रव्यों के प्रवाह को रोकने के लिए चीन के साथ सहयोग फिर से शुरू किया है। मैं इस सहयोग की सराहना करता हूं। यह मेरे देश के लोगों और दुनिया भर के कई अन्य देशों के लिए मायने रखता है।

जहां तक संकल्पों की बात है, तो अमेरिका दृढ़ता से डटा हुआ है: अनुचित आर्थिक प्रतिस्पर्धा और दक्षिण चीन सागर में अन्य देशों पर सैन्य दबाव के खिलाफ़, ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए, और अपनी सर्वाधिक उन्नत तकनीकों की रक्षा करने में ताकि उनका इस्तेमाल हमारे या हमारे किसी भी सहयोगी के खिलाफ़ ना किया जा सके।

साथ ही, हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में गठबंधनों और साझेदारियों के अपने नेटवर्क को मज़बूत करते रहेंगे। ये साझेदारियां किसी भी देश के खिलाफ़ नहीं हैं। ये एक मुक्त, खुले, सुरक्षित और शांतिपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र की आधारशिला हैं।

हम मध्य पूर्व में अधिक शांति और स्थिरता लाने के लिए भी काम कर रहे हैं। दुनिया को 7 अक्टूबर की भयावहता से ध्यान नहीं हटाना चाहिए। किसी भी देश को यह सुनिश्चित करने का अधिकार और ज़िम्मेदारी होनी चाहिए कि ऐसा हमला फिर कभी ना हो।

हज़ारों सशस्त्र हमास आतंकवादियों ने एक संप्रभु राज्य पर हमला किया, 46 अमेरिकियों सहित 1,200 से अधिक लोगों को उनके घरों में और एक संगीत समारोह में मार डाला; यौन हिंसा के घृणित कृत्य किए; 250 निर्दोष लोगों को बंधक बना लिया।

मैं उन बंधकों के परिवारों से मिला हूं। मैं उनके दुख में शामिल हुआ। वे भयावह पीड़ा से गुजर रहे हैं।

गाज़ा में  भी निर्दोष नागरिक भयावह स्थिति का सामना कर रहे हैं। हज़ारों लोग मारे गए हैं, जिनमें सहायताकर्मी भी शामिल हैं। बहुत से परिवार विस्थापित हो गए, तंबुओं में ठूंसे गए हैं, एक भयानक मानवीय संकट का सामना कर रहे हैं। उनकी इस युद्ध में कोई भूमिका नहीं थी जिसे हमास ने शुरू किया।

मैंने क़तर और मिस्र के साथ मिलकर युद्धविराम और बंधक समझौते का प्रस्ताव सामने रखा। इसे संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा परिषद का समर्थन प्राप्त है। अब समय आ गया है कि दोनों पक्ष इसकी शर्तों को अंतिम रूप दें, बंधकों की रिहाई कराएं, इज़रायल के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करें, गाज़ा को हमास के चंगुल से मुक्त कराएं, गाज़ा में परेशानियों को कम करें और इस युद्ध को समाप्त करें।

7 अक्टूबर को – (तालियां) – 7 अक्टूबर से, हम इस बात के लिए भी प्रतिबद्ध हैं कि पूरे क्षेत्र को अपनी गिरफ़्त में लेने वाला व्यापक युद्ध नहीं होने दिया जाए। हिज़बुल्ला, बिना उकसावे के, 7 अक्टूबर के हमले में शामिल हो गया और इज़रायल पर रॉकेट दागने लगा। लगभग एक साल बाद, इज़रायल-लेबनान सीमा के दोनों ओर अनेक लोग विस्थापित हैं।

व्यापक युद्ध किसी के हित में नहीं है। स्थिति के बिगड़ने के बावजूद, एक कूटनीतिक समाधान अभी भी संभव है। वास्तव में, दोनों देशों के निवासियों को सीमावर्ती क्षेत्र में अपने घरों में सुरक्षित लौटने की अनुमति देना ही स्थायी सुरक्षा का एकमात्र रास्ता है। और यही वो उद्देश्य है जिसे हासिल करने के लिए हम अथक प्रयास कर रहे हैं।

भविष्य पर नज़र रखते हुए, हमें वेस्ट बैंक में बेगुनाह फ़लस्तीनियों के खिलाफ़ बढ़ती हिंसा से भी निपटना चाहिए और एक बेहतर भविष्य के लिए परिस्थितियां तैयार करनी चाहिए जिनमें द्विराष्ट्र समाधान शामिल है, जहां इज़रायल को सुरक्षा और शांति, और अपने सभी पड़ोसियों से पूर्ण मान्यता और संबंधों में सामान्यीकरण प्राप्त हो, जबकि फ़लस्तीनी सुरक्षा, सम्मान और आत्मनिर्णय के अधिकार के साथ अपने खुद के राष्ट्र में रह सकें। (तालियां।)

शांति की दिशा में प्रगति हमें ईरान द्वारा उत्पन्न खतरे से निपटने के लिए एक मज़बूत स्थिति में ला सकेगी। साथ मिलकर, हमें उसके लिए सक्रिय आतंकवादियों को जीवनवायु से वंचित करना होगा – जिन्होंने 7 अक्टूबर जैसे और हमलों का आह्वान किया है – और यह सुनिश्चित करना होगा कि ईरान कभी भी परमाणु हथियार हासिल ना कर सके।

गाज़ा एकमात्र संघर्ष नहीं है जिस पर हमें आक्रोशित होना चाहिए। सूडान में, एक खूनी गृहयुद्ध का कारण दुनिया की सर्वाधिक खराब मानवीय संकट की हालत बन गई है: वहां 80 लाख लोग अकाल के कगार पर हैं, लाखों लोग पहले से ही उस स्थिति में हैं, और दारफ़ुर और अन्य जगहों पर अत्याचार झेल रहे हैं।

अमेरिका ने सूडान को मानवीय सहायता प्रदान करने में दुनिया का नेतृत्व किया है। और अपने साझेदारों के साथ, हमने संघर्ष खत्म कराने और व्यापक अकाल को टालने के लिए कूटनीतिक वार्ताओं का नेतृत्व किया है। दुनिया को जनरलों को हथियार देना बंद करने, एक स्वर में बोलने और उन्हें यह बताने की ज़रूरत है: अपने देश को तोड़ना बंद करो। सूडानी लोगों के लिए मानवीय सहायता को बाधित करना बंद करो। इस युद्ध को अभी समाप्त करो। (तालियां।)

लेकिन लोगों की ज़रूरत युद्ध के अंत से कहीं आगे तक की है। उन्हें गरिमा के साथ जीने का अवसर चाहिए। उन्हें जलवायु परिवर्तन, भूख और बीमारी के कहर से बचाने की ज़रूरत है।

हमारे प्रशासन ने प्रगति और अन्य सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए 150 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है। इसमें खाद्य सुरक्षा के लिए 20 अरब डॉलर और वैश्विक स्वास्थ्य के लिए 50 अरब डॉलर से अधिक के निवेश शामिल हैं। हमने निजी क्षेत्र के निवेश के रूप में अरबों डॉलर जुटाए हैं।

हमने इतिहास में सबसे महत्वाकांक्षी जलवायु पहल की है। हमारा प्रशासन पहले दिन ही पेरिस समझौते में फिर से शामिल होने के लिए आगे बढ़ा। और आज, मेरा देश अंततः 2030 तक उत्सर्जन को आधा करने, और इस साल अब तक 11 अरब डॉलर जुटाने के साथ विकासशील देशों के लिए जलवायु वित्तपोषण को चौगुना करने के मेरे संकल्प को पूरा करने की राह पर है।

हम विश्व स्वास्थ्य संगठन में फिर से शामिल हो गए हैं और हमने 117 देशों को कोविड वैक्सीन की लगभग 70 करोड़ खुराकों का दान किया। हमें अब अफ्रीका में एमपॉक्स के प्रकोप से निपटने के लिए तेज़ी से आगे बढ़ना चाहिए। हम अफ्रीकी देशों को एमपॉक्स रोकने और उससे निपटने के लिए 50 करोड़ डॉलर की मदद और तत्काल एमपॉक्स वैक्सीन की 10 लाख खुराकों का दान देने की स्थिति में हैं। (तालियां।) हम अपने साझेदारों से हमारे इस संकल्प की बराबरी करने तथा अफ्रीका के लोगों के लिए इसे एक अरब डॉलर की प्रतिबद्धता बनाने का आह्वान करते हैं।

भोजन और स्वास्थ्य की मूलभूत आवश्यकताओं से इतर, अमेरिका, जी7 तथा हमारे साझेदारों ने विकासशील देशों के लिए बड़ी मात्रा फ़ंडिंग जुटाने तथा प्रदान करने के लिए एक महत्वाकांक्षी पहल शुरू की है। हम इन देशों को उनके बुनियादी ढांचे के निर्माण, स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में प्रगति, और डिजिटलीकरण में मदद देने की दिशा में काम कर रहे हैं, ताकि वे एक समृद्ध भविष्य के लिए नई आर्थिक नींव डाल सकें।

इसे वैश्विक अवसंरचना और निवेश के लिए साझेदारी के नाम से जाना जाता है। हम पहले ही दक्षिण अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया और अमेरिकी महाद्वीप में इसके सकारात्मक परिणाम देख रहे हैं। हमें इसे जारी रखना होगा।

मैं कार्यों को साथ मिलकर पूरा करना चाहता हूं। ऐसा करने के लिए, हमें एक अधिक मज़बूत, अधिक प्रभावी और अधिक समावेशी संयुक्तराष्ट्र का निर्माण करना होगा। संयुक्तराष्ट्र को नई आवाज़ें और नए दृष्टिकोण समाहित करने के लिए अनुकूलन करने की आवश्यकता है। इसलिए हम संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा परिषद की सदस्यता में सुधार और विस्तार का समर्थन करते हैं। (तालियां।)

संयुक्तराष्ट्र में हमारी राजदूत ने बीते कल की नहीं, बल्कि आज की दुनिया को प्रतिबिंबित करने वाला हमारा विस्तृत दृष्टिकोण सामने रखा है। आगे बढ़ने का समय आ गया है।

और सुरक्षा परिषद को, स्वयं संयुक्तराष्ट्र की तरह, शांति स्थापित करने; युद्धों और पीड़ा को समाप्त करने के लिए समझौते कराने (तालियां); सर्वाधिक खतरनाक हथियारों के प्रसार पर रोक लगाने; पूर्वी अफ्रीका में संकटग्रस्त क्षेत्रों से लेकर हैती तक – जहां कीनिया के नेतृत्व वाला मिशन हैती के लोगों के साथ मिलकर काम कर रहा है – को स्थिर करने के लिए फिर से काम में जुट जाना चाहिए।

हमारे पास अपने नागरिकों को भविष्य के लिए तैयार करने की भी ज़िम्मेदारी है। मेरा मानना है कि हम अगले 2 से 10 वर्षों में पिछले 50 वर्षों की तुलना में अधिक तकनीकी परिवर्तन देखेंगे।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) हमारे जीवन जीने के तरीके, हमारे काम करने के तरीके और हमारे युद्ध के तरीके को बदलने जा रही है। यह अभूतपूर्व गति से वैज्ञानिक प्रगति की शुरुआत का माध्यम हो सकती है। और इसका अधिकांश हिस्सा हमारे जीवन को बेहतर बना सकता है।

लेकिन एआई से गहरे जोखिम भी जुड़े हैं, डीपफ़ेक से लेकर भ्रामक सूचनाएं, और नए रोगाणुओं से लेकर जैव हथियारों तक।

हमने नए मानदंडों और मानकों को परिभाषित करने के लिए देश और विदेश में काम किया है। इस वर्ष, हमने वैश्विक नियमों – एआई पर वैश्विक नियमों के विकास की शुरुआत के लिए पहली बार महासभा में प्रस्ताव पारित किया गया। हमने इस कक्ष में 60 देशों के साथ मिलकर एआई के ज़िम्मेदारीपूर्ण उपयोग की घोषणा भी की।

लेकिन ईमानदारी से कहें तो, यह उस प्रयास का बस छोटा सा हिस्सा है, जो हमें इस नई तकनीक को प्रबंधित करने के लिए करने की ज़रूरत है।

इस बारे में कुछ भी निश्चित नहीं है कि एआई कैसे विकसित होगा या इसे कैसे तैनात किया जाएगा। कोई भी सारे जवाब नहीं जानता।

लेकिन मेरे साथी नेताओं, मैं विनम्रतापूर्वक दो सवाल करना चाहूंगा।

पहला: हम एक अंतरराष्ट्रीय समुदाय के रूप में एआई को कैसे नियंत्रित कर रहे हैं? जैसे-जैसे देश और कंपनियां अनिश्चित क्षितिज की ओर दौड़ रही हैं, हमें एआई की सुरक्षा, संरक्षा और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए भी तत्काल समान रूप से प्रयास करने की आवश्यकता है। जैसे-जैसे एआई अधिक शक्तिशाली हो रही है, इसे हमारी सामूहिक आवश्यकताओं और मूल्यों के प्रति अधिक उत्तरदायी भी होना चाहिए। इसके लाभों को समतापूर्ण ढंग से साझा किया जाना चाहिए। इसका उपयोग डिजिटल विभाजन को कम करने के लिए किया जाना चाहिए, ना कि गहरा करने के लिए।

दूसरा: क्या हम यह सुनिश्चित करेंगे कि एआई उन मूल सिद्धांतों का समर्थन करे, ना कि उन्हें कमज़ोर करे, कि मानव जीवन में मूल्य निहित है और सभी मनुष्य सम्मान के हक़दार हैं? हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एआई की अद्भुत क्षमताओं का उपयोग आम लोगों के उत्थान और सशक्तिकरण के लिए किया जाए, ना कि तानाशाहों को मानव आत्मा को जकड़ने के वास्ते और अधिक शक्तिशाली बेड़ियां थमाने के लिए।

आने वाले वर्षों में, हमारे नेतृत्व की इससे बड़ी कोई परीक्षा नहीं हो सकती कि हम एआई से कैसे निपटते हैं।

और आखिर में मैं ये कहना चाहता हूं। इतने सारे बदलावों के बावजूद, एक चीज़ नहीं बदलनी चाहिए: हमें कभी नहीं भूलना चाहिए कि हम यहां किसका प्रतिनिधित्व करने आए हैं।

"हम लोग।" ये हमारे संविधान के आरंभिक शब्द हैं, अमेरिका की मूल अवधारणा। और ये यूएन चार्टर के शुरुआती शब्दों के लिए प्रेरणा बने।

मैंने लोकतंत्र के संरक्षण को अपने राष्ट्रपतीय कार्यकाल का मुख्य उद्देश्य बनाया है।

इस बार की गर्मियों में, मुझे इस बारे में निर्णय लेना पड़ा कि क्या मुझे राष्ट्रपति के दूसरे कार्यकाल के लिए प्रयास करना चाहिए। यह एक कठिन फ़ैसला था। राष्ट्रपति बनना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान है। मुझे और भी बहुत काम करने हैं। लेकिन जितना मैं अपने काम से प्यार करता हूं, उतना ही मैं अपने देश से भी प्यार करता हूं। मैंने फैसला किया कि 50 साल की जनसेवा के बाद, अब समय आ गया है कि नेतृत्व की एक नई पीढ़ी मेरे देश को आगे ले जाए।

मेरे साथी नेताओं, हमें कभी नहीं भूलना चाहिए, कुछ चीजें सत्ता में बने रहने से भी ज़्यादा महत्वपूर्ण होती हैं। ये हैं आपके लोग – (तालियां) – ये आपके लोग हैं जो सबसे ज़्यादा मायने रखते हैं।

कभी मत भूलिए, हम यहां लोगों की सेवा करने के लिए हैं, ना कि इसके विपरीत। क्योंकि भविष्य मुक्त हवा में सांस लेने, स्वतंत्र चिंतन करने, नवाचार अपनाने, शिक्षित करने, और बिना डरे खुलकर जीने और प्यार करने के लिए अपने लोगों की पूर्ण क्षमता का इस्तेमाल करने वालों का होगा।

यही लोकतंत्र की आत्मा है। ये किसी एक देश का नहीं है।

मैंने इसे पूरी दुनिया में उन बहादुर पुरुषों और महिलाओं में देखा है जिन्होंने रंगभेद को खत्म किया, बर्लिन की दीवार को गिराया, जो आज स्वतंत्रता, न्याय और सम्मान के लिए लड़ रहे हैं।

हमने इसे – अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए सार्वभौमिक तड़प – वेनेज़ुएला में देखा, जहां लाखों लोगों ने बदलाव के लिए अपना वोट डाला। इसे मान्यता नहीं दी गई है, लेकिन इसे नकारा भी नहीं जा सकता। दुनिया सच्चाई जानती है।

हमने इसे युगांडा के एलजीबीटी कार्यकर्ताओं में देखा जो अपनी साझा मानवता की सुरक्षा और मान्यता की मांग कर रहे हैं।

हम इसे शांतिपूर्वक अपना भविष्य चुनते दुनिया भर के नागरिकों में देखते हैं – घाना से लेकर भारत और दक्षिण कोरिया तक, मानवता के एक चौथाई का प्रतिनिधित्व करने वाले राष्ट्र जो अकेले इस साल चुनावों में भाग ले रहे हैं।

यह उल्लेखनीय है, "हम लोग" की शक्ति, जो मुझे भविष्य के बारे में पहले से – जब मैं 1972 में पहली बार अमेरिकी सीनेट के लिए चुना गया था – कहीं अधिक आशावादी बनाती है।

हर दौर की अपनी चुनौतियों होती हैं। मैंने इसे एक युवा के रूप में देखा था। मैं इसे आज भी देख रहा हूं।

लेकिन हम जितना सोचते हैं उससे कहीं अधिक मज़बूत हैं। हम साथ मिलकर अकेले की तुलना में अधिक मज़बूत हैं। और जिसे लोग "असंभव" कहते हैं, वह सिर्फ़ एक भ्रम है।

नेल्सन मंडेला ने हमें सिखाया है, उन्हीं के शब्दों में, "जब तक काम पूरा नहीं हो जाता, तब तक वो हमेशा असंभव लगता है।"

मेरे साथी नेताओं, अगर हम साथ मिलकर काम करें तो ऐसा कुछ भी नहीं जो हमारी क्षमता से परे हो। आइए हम साथ मिलकर काम करें।

भगवान आप सभी का भला करें। और भगवान उन सभी की रक्षा करें जो शांति चाहते हैं।

धन्यवाद। (तालियां।)

पूर्वाह्न 10:36 ईडीटी


मूल स्रोत: https://www.whitehouse.gov/briefing-room/speeches-remarks/2024/09/24/remarks-by-president-biden-before-the-79th-session-of-the-united-nations-general-assembly-new-york-ny/

अस्वीकरण: यह अनुवाद शिष्टाचार के रूप में प्रदान किया गया है और केवल मूल अंग्रेज़ी स्रोत को ही आधिकारिक माना जाना चाहिए।


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