Wednesday, December 15, 2021

विदेश मंत्री एंटनी जे. ब्लिंकन का संबोधन “एक मुक्त और खुला हिंद-प्रशांत”

Department of State United States of America

अनुवादअमेरिकी विदेश विभाग केसौजन्य से



अमेरिकी विदेश विभाग
प्रवक्ता का कार्यालय
संबोधन
दिसंबर 14, 2021

इंडोनेशिया विश्वविद्यालय
जकार्ता, इंडोनेशिया

सुश्री कुसुमयति:  महामहिम, राजदूतों, आसियान महासचिव, इंडोनेशिया विश्वविद्यालय के माननीय रेक्टर, अमेरिका-इंडोनेशिया ट्रस्टी बोर्ड के अध्यक्ष, विशिष्ट अतिथियों, देवियों और सज्जनों:

सबसे पहले, आइए सर्वशक्तिमान ईश्वर की स्तुति करें, जिनके आशीष से आज हम यहां स्वस्थ और समृद्ध रहते हुए एकत्र हो सके। यहां डेपोक सिटी में इंडोनेशिया विश्वविद्यालय के परिसर में आपका गर्मजोशी से स्वागत करते हुए मैं सम्मानित महसूस कर रही हूं।

माननीय अमेरिकी विदेश मंत्री श्री एंटनी ब्लिंकन के मुख्य भाषण की मेज़बानी करना इंडोनेशिया विश्वविद्यालय के लिए सम्मान और खुशी की बात है। इंडोनेशिया विश्वविद्यालय को, जैसा कि नाम से ज़ाहिर है, अपने साथ राष्ट्र का नाम जुड़ा होने पर गर्व है। हमें इस बात का अहसास है कि विशेषाधिकार के साथ-साथ इससे हमारी ज़िम्मेदारी भी जुड़ी हुई है।

हमारा ध्येय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और संस्कृति के महत्व को, और इस बात को रेखांकित करता कि है दुनिया के साथ इनमें प्रगति करते हुए कैसे हम इंडोनेशिया के लोगों को लाभान्वित कर सकते हैं।

महामहिम, देवियों और सज्जनों, जैसा कि हम सभी ने अनुभव किया है, हमारे चारों ओर दूरगामी महत्व की और जटिल समस्याएं उभर रही हैं। इनमें से कुछेक हैं कोविड-19 महामारी, प्राकृतिक आपदा, ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन। इन समस्याओं का कोई तत्काल समाधान नहीं है, लेकिन हम साथ मिलकर विचार-विमर्श करने, प्रेरणा ग्रहण करने और फिर उन्हें  परस्पर सहयोग, नीतियों और कार्यों में बदलने हेतु प्रयास करने में यक़ीन करते हैं।

आज का दिन हमारे लिए एक अनूठा अवसर है। हमारा सौभाग्य है कि अपने विचार साझा करने के लिए महामहिम अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन हमारे बीच उपस्थित हैं। विभिन्न पृष्ठभूमि और विशेषज्ञता वाली कई बड़ी हस्तियां यहां पहले से ही मौजूद हैं, और हम वास्तव में मानते हैं कि ज्ञान की विविधता एक लक्ष्य पर केंद्रित होगी: हमारी भावी पीढ़ियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ उन चुनौतियों का समाधान करना जिनका कि हम वर्तमान में सामना कर रहे हैं।

महामहिम, देवियों और सज्जनों, आइए हम माननीय अमेरिकी विदेश मंत्री श्री एंटनी ब्लिंकन का स्वागत करें। (तालियां।)

विदेश मंत्री ब्लिंकन:  आप सभी को सुप्रभात। आपके बीच उपस्थित होना सुखद है। और डॉ. कुसुमयति, उदार परिचय पेश करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। लेकिन इससे भी अधिक, जनस्वास्थ्य को बेहतर बनाने, डॉक्टरों और नर्सों की अगली पीढ़ी को शिक्षित करने की आपको दशकों की सेवा के लिए आपका धन्यवाद, जिसमें विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की प्रथम महिला डीन के रूप में आपकी सेवा भी शामिल है। प्रजनन स्वास्थ्य पर आपके शोध से लेकर इंडोनेशिया के कोविड टास्क फ़ोर्स में आपकी नेतृत्वकारी भूमिका तक, अपने समुदाय के प्रति आपका समर्पण वास्तव में प्रेरणादायक है, और मैं आपका धन्यवाद करता हूं। (तालियां।)

और यहां उपस्थिति सभी लोगों को सुप्रभात। सलामत पागी। जकार्ता वापस आना सुखद है। पिछली बार सरकार में उप विदेश मंत्री रहते हुए मैं कुछ मौक़ो पर यहां आया था, और मुझे दक्षिण पूर्व एशिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में फिर से वापसी के इस अवसर की प्रतीक्षा थी।

और इस कक्ष में मौजूद छात्रों की बात करें, तो मुझे उम्मीद है कि कैंपस में वापस आकर आपको अच्छा लग रहा होगा। मैं समझता हूं कि आप में से बहुत से लोग कुछ समय से दूरस्थ पढ़ाई कर रहे हैं और वास्तव में आपको कक्षा में वापस लौटने का इंतज़ार हैं, और मुझे खुशी है कि हमारे पास आज आपको यहां एक साथ वापस लाने का एक बहाना था। मुझे पता है, डॉक्टर, आप और टास्क फ़ोर्स छात्रों को वापस लाने चाहते हैं, और मुझे पता है कि हर कोई इसके लिए कितना उत्सुक है।

मैं, और हम सभी यहां इसलिए हैं, क्योंकि  21वीं सदी में दुनिया की दिशा पर किसी भी अन्य क्षेत्र की तुलना में हिंद-प्रशांत क्षेत्र की घटनाओं का कहीं अधिक प्रभाव पड़ेगा।

हिंद-प्रशांत दुनिया का सबसे तेज़ी से विकसित हो रहा क्षेत्र है। यह क्षेत्र विश्व अर्थव्यवस्था के 60 प्रतिशत, और पिछले पांच वर्षों में हुए संपूर्ण आर्थिक विकास के दो-तिहाई हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है। इस क्षेत्र में दुनिया के आधे से अधिक लोग निवास करते हैं, जबकि 15 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से सात यहीं पर हैं।

ज़बरदस्त विविधताओं वाले इस क्षेत्र में 3,000 से अधिक भाषाएं बोली जाती हैं तथा दो महासागरों और तीन महाद्वीपों में फैले इस भूभाग में अनेकों धर्म फल-फूल रहे हैं।

यहां तक कि इंडोनेशिया जैसे एक देश में ही इतना कुछ है कि विविधता के अलावा किसी एक चीज़ को इसकी विशेषता के रूप में पेश करना मुश्किल है। और इस देश का आदर्श वाक्य है – 'भिन्नेका तुंग्लग इका', यानि विविधता में एकता – जो एक अमेरिकी के लिए जानी-पहचानी उक्ति लगती है। अमेरिका में हम कहते हैं 'ए प्लुरिबस यूनम', यानि अनेकों में एक। दोनों एक जैसे विचार हैं।

अमेरिका लंबे समय से एक हिंद-प्रशांत राष्ट्र रहा है, है और हमेशा रहेगा। यह एक भौगोलिक तथ्य है, क्योंकि हमारे प्रशांत तटीय राज्यों से लेकर गुआम तक, प्रशांत क्षेत्र में हमारी भौगोलिक उपस्थिति है। और यह एक ऐतिहासिक वास्तविकता है, जो इस क्षेत्र के साथ हमारे दो सदियों के व्यापार और अन्य संबंधों से प्रदर्शित होती है।

आज, अमेरिका के आधे शीर्ष व्यापारिक साझेदार हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हैं। यह हमारे लगभग एक-तिहाई निर्यात का गंतव्य है, अमेरिका में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में से 900 बिलियन डॉलर का स्रोत है, और इससे हमारे सभी 50 राज्यों में लाखों नौकरियों के अवसर बने हैं। और महाद्वीपीय अमेरिका के बाहर हमारी सेना के सर्वाधिक सदस्यों की तैनाती इसी क्षेत्र में है। वे शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं जो इस क्षेत्र में समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं, जिससे हम सभी लाभान्वित होते हैं।

और निश्चित रूप से, हम अपने लोगों के स्तर पर परस्पर जुड़े हुए हैं, जिनके संबंध पीढ़ियों से चले आ रहे हैं। अमेरिका में 24 मिलियन से अधिक एशियाई अमेरिकी रहते हैं, जिसमें राजदूत सुंग किम भी शामिल हैं, जब वह दुनिया के किसी न किसी हिस्से में अपने देश की सेवा नहीं कर रहे होते हैं, जैसा कि वह पिछले तीन दशकों से कर रहे हैं।

महामारी से पहले, हिंद-प्रशांत क्षेत्र के 775,000 से अधिक छात्र अमेरिकी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे थे। और यहां इंडोनेशिया विश्वविद्यालय में आपके अमेरिकी सहपाठी उन लाखों अमेरिकियों में शामिल हैं, जो अध्ययन करने, काम करने, रहने के लिए इस क्षेत्र में आए हैं, जिनमें एक ऐसा व्यक्ति भी शामिल रहा है जो आगे चलकर हमारा राष्ट्रपति बना।

एक इंडोनेशियाई कहावत है, जोकि मुझे बताया गया है कि बच्चों को छोटी उम्र से सिखाया जाता है: "हमारे कान दो हैं, लेकिन मुंह केवल एक।" इसका मतलब है कि बोलने या क़दम उठाने से पहले हमें सुनना चाहिए। और मौजूदा अमेरिकी प्रशासन के पहले वर्ष में हमने इस क्षेत्र और इसके भविष्य के प्रति आपके दृष्टिकोण को समझने के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लोगों को ख़ूब सुना है।

हमने इस क्षेत्र के अनेक नेताओं का अपने देश में स्वागत किया है, जिसमें पदभार ग्रहण करने के बाद राष्ट्रपति बाइडेन द्वारा पहले दो विदेशी मेहमानों के रूप में जापान और दक्षिण कोरिया के नेताओं की मेज़बानी, और विदेश विभाग में इंडोनेशियाई विदेश मंत्री रेत्नो समेत तमाम विदेश मंत्रियों की मुझ द्वारा मेज़बानी शामिल है। और हमारे कई नेता आपके क्षेत्र में आए हैं जिनमें उपराष्ट्रपति हैरिस, रक्षा मंत्री ऑस्टिन और वाणिज्य मंत्री रायमोंडो समेत कैबिनेट के कई सदस्यों के साथ-साथ विदेश विभाग में मेरी टीम के कई वरिष्ठ अधिकारियों का उल्लेख किया जा सकता है।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने प्रमुख क्षेत्रीय संगठनों द्वारा आयोजित कई नेतास्तरीय शिखर सम्मेलनों में भाग लिया है: एपेक; अमेरिका-आसियान और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन; तथा भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ क्वाड की बैठक। समकक्ष विदेश मंत्रियों के साथ मैंने भी ऐसा ही किया है, जिनमें से एक थी मेकांग-अमेरिका साझेदारी मंत्रिस्तरीय बैठक। और राष्ट्रपति बाइडेन ने विदेशों में भी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के नेताओं से मुलाक़ात की है, जिनमें कॉप26 के दौरान ग्लासगो में इंडोनेशियाई राष्ट्रपति जोकोवी के साथ हुई बहुत ही उपयोगी बैठक शामिल है।

लेकिन हम सिर्फ नेताओं की नहीं सुन रहे हैं। पूरे क्षेत्र में हमारे दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों में तैनात हमारे राजनयिक छात्रों, कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों और उद्यमियों समेत जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों के विचारों को गंभीरता से सुन रहे हैं।

और हालांकि यह अलग-अलग हितों, अलग-अलग विचारों वाला असाधारण रूप से विविध क्षेत्र है, हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र और अमेरिका के दृष्टिकोणों के बीच बहुत अधिक तालमेल पाते हैं।

क्षेत्र के लोग और सरकारें सभी के लिए अधिक और बेहतर अवसर चाहते हैं। वे अपने राष्ट्रों के भीतर, अपने राष्ट्रों के बीच, और दुनिया भर में परस्पर जुड़ाव के अधिक अवसर चाहते हैं। हम अभी जिस महामारी का सामना कर रहे हैं, वे ऐसे संकटों के लिए बेहतर तरीके से तैयार रहना चाहते हैं। वे शांति और स्थिरता चाहते हैं। वे चाहते हैं कि अमेरिका अपनी मौजूदगी और जुड़ाव बढ़ाए। और सबसे बढ़कर, वे एक ऐसा क्षेत्र चाहते हैं जो अधिक मुक्त और अधिक खुला हो।

इसलिए मैं आज यहां उस साझा दृष्टिकोण का वर्णन करने जा रहा हूं, और इस बात का कि उसे वास्तविकता बनाने के लिए हम कैसे मिलकर काम करने जा रहे हैं। और इस सिलसिले में मैं पांच मुख्य बिंदुओं पर फ़ोकस करना चाहूंगा।

सबसे पहले, हम एक मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत को आगे बढ़ाएंगे।

आजकल हम एक मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत के बारे में बहुत सारी बातें करते हैं, लेकिन हम अक्सर यह परिभाषित नहीं करते हैं कि वास्तव में हमारा क्या मतलब है। स्वतंत्रता अपना भविष्य तय करने तथा अपने समुदाय और अपने देश के निर्णयों में अपनी भागीदारी की क्षमता से संबंधित है, चाहे आप कोई भी हों और आप किसी को जानते हों या नहीं। और खुलापन स्वाभाविक रूप से स्वतंत्रता से प्रवाहित होता है। मुक्त स्थान नई जानकारियों और दृष्टिकोणों के लिए खुले होते हैं। वे विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों, जीवनशैलियों के लिए खुले होते हैं। वे आलोचनाओं के लिए, आत्मचिंतन के लिए, साथ ही नवीकरण के लिए खुले होते हैं।

जब हम कहते हैं कि हम एक मुक्त और खुला हिंद-प्रशांत चाहते हैं, तो हम व्यक्तिगत स्तर पर ऐसा कहते हैं, यानि लोग अपने दैनिक जीवन में स्वतंत्र होंगे और खुले समाजों में रहेंगे। हम राष्ट्रीय स्तर पर ऐसा कहते हैं, यानि अलग-अलग देश अपना रास्ता और अपने साझेदार खुद चुनने में सक्षम होंगे। और हम क्षेत्रीय स्तर पर ऐसा कहते हैं, कि दुनिया के इस हिस्से में समस्याओं से खुले तौर पर निपटा जाएगा, नियमों को पारदर्शी और निष्पक्ष रूप से लागू किया जाएगा, तथा वस्तुओं, विचारों और व्यक्तियों का सीमाओं के आरपार, साइबर स्पेस में और खुले समुद्र में मुक्त आवागमन हो सकेगा।

यह सुनिश्चित करना हम सभी के हित में है कि दुनिया का सबसे गतिशील क्षेत्र दबावों से मुक्त और सभी के लिए सुलभ रहे। यह पूरे क्षेत्र के लोगों के हित में है। यह अमेरिकियों के हित में है क्योंकि इतिहास बताता है कि जब यह विशाल क्षेत्र मुक्त और खुला होता है, तो अमेरिका अधिक सुरक्षित और अधिक समृद्ध होता है। इसलिए हम इस संकल्पना को साकार करने का प्रयास करने के लिए पूरे क्षेत्र में अपने साझेदारों के साथ काम करेंगे।

हम पूरे क्षेत्र में भ्रष्टाचारविरोधी और पारदर्शिता समर्थक समूहों, खोजी पत्रकारों और थिंक टैंक संस्थाओं – जैसे श्रीलंका का एडवोकाटा इंस्टीट्यूट – का समर्थन करना जारी रखेंगे। हमारे सहयोग से, एडवोकाटा इंस्टीट्यूट ने बैंकों और एयरलाइनों जैसे सरकारी स्वामित्व वाले ऐसे उद्यमों की एक सार्वजनिक रजिस्ट्री बनाई जो बहुत घाटे में चल रहे हैं, और इंस्टीट्यूट ने उनमें सुधार के तरीक़े प्रस्तावित किए हैं।

हमें सरकार में भी विक्टर सोत्तो जैसे साझेदार मिल रहे हैं। वह फिलीपींस के पासिग शहर के मेयर हैं। विक्टर ने भ्रष्टाचार के मामलों की रिपोर्ट करने के वास्ते लोगों के लिए 24/7 हॉटलाइन स्थापित की है। इससे सार्वजनिक ठेके दिए जाने के काम को अधिक पारदर्शी बना दिया है, और समुदाय-आधारित संगठनों को शहर के संसाधनों के उपयोग संबंधी निर्णय प्रक्रिया से जोड़ने का काम किया है। वह अमेरिकी विदेश विभाग के वैश्विक भ्रष्टाचार-विरोधी नेताओं के प्रथम समूह में शामिल हैं, जिसकी घोषणा हमने इस साल की शुरुआत में की थी।

और हम अपने साथी लोकतंत्रों के श्रेष्ठ तौर-तरीक़ों से सीखते रहेंगे। लोकतंत्र शिखर सम्मेलन के पीछे यही विचार है जिसे राष्ट्रपति बाइडेन ने पिछले सप्ताह आयोजित किया था, जहां राष्ट्रपति जोकोवी ने भी भाषण दिया था – वास्तव में, वह पहले वक्ता थे। और, बाली लोकतंत्र मंच के पीछे भी यही विचार है जिसका पिछले दिनों इंडोनेशिया ने चौदहवीं बार आयोजन किया, और जहां मुझे बोलने का अवसर मिला था।

हम उन नेताओं के खिलाफ़ खड़े भी होंगे जो अपने लोगों के अधिकारों का सम्मान नहीं करते, जैसा कि हम अभी बर्मा में देख रहे हैं। हम बर्मी शासन पर अंधाधुंध हिंसा रोकने, अनुचित रूप से हिरासत में लिए गए सभी लोगों को रिहा करने, निर्बाध पहुंच की अनुमति देने और बर्मा को दोबारा समावेशी लोकतंत्र की राह पर लाने के लिए दबाव डालने हेतु अपने सहयोगियों और साझेदारों के साथ काम करना जारी रखेंगे।

आसियान ने एक पांच सूत्री सहमति विकसित की है, और इसने बर्मी शासन से सभी पक्षों के साथ रचनात्मक बातचीत में शामिल होने का आह्वान किया है ताकि शांतिपूर्ण समाधान की राह ढूंढी जा सके जिसमें बर्मी लोगों की इच्छा का सम्मान होता हो, जो एक ऐसा लक्ष्य जिसे हम नहीं छोड़ेंगे।

स्वतंत्रता और खुलेपन को बढ़ावा देने का हमारा एक और तरीक़ा होगा, उन लोगों से एक खुले, अंतरसंचालनीयता वाले, सुरक्षित और विश्वसनीय इंटरनेट की रक्षा करना जो इंटरनेट को अधिक बंद, अधिक खंडित और कम सुरक्षित बनाने के लिए सक्रिय हैं। हम इन सिद्धांतों की रक्षा के लिए अपने साझेदारों के साथ मिलकर काम करेंगे, और इसकी बुनियाद के तौर पर एक सुरक्षित और भरोसेमंद तंत्र के निर्माण में मदद करेंगे। इस साल की शुरुआत में मून-बाइडेन लीडर्स समिट में, दक्षिण कोरिया और अमेरिका ने सुरक्षित 5जी और 6जी नेटवर्क संबंधी अनुसंधान और विकास कार्य समेत उभरती प्रौद्योगिकियों पर 3.5 बिलियन डॉलर से अधिक के निवेश की घोषणा की।

अंत में, हम अपने सहयोगियों और साझेदारों के साथ विधिसम्मत व्यवस्था की रक्षा के लिए काम करेंगे, जिसे हमने दशकों में मिलकर बनाया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह क्षेत्र खुला और सुलभ रहे।

और मैं एक बात स्पष्ट करना चाहूंगा: विधिसम्मत व्यवस्था की रक्षा करने का लक्ष्य किसी भी देश को नीचा दिखाने के लिए नहीं है। बल्कि, यह सभी देशों के अपना रास्ता खुद चुनने, दबावों से मुक्त रहने और धमकियों से सुरक्षित रहने के अधिकार की रक्षा के लिए है। यह अमेरिका-केंद्रित क्षेत्र या चीन-केंद्रित क्षेत्र के बीच प्रतिस्पर्धा को लेकर नहीं है। हिंद-प्रशांत ख़ुद में एक स्वतंत्र क्षेत्र है। दरअसल, यह उन अधिकारों और समझौतों को क़ायम रखने के बारे में है जिनके सहारे इस क्षेत्र और दुनिया ने अब तक का सबसे शांतिपूर्ण और समृद्ध दौर देखा है।

यही कारण है कि पूर्वोत्तर एशिया से लेकर दक्षिण पूर्व एशिया और मेकांग नदी से लेकर प्रशांत द्वीप समूह तक, बीजिंग की आक्रामक कार्रवाइयों, खुले समुद्र पर उसके दावे, अपनी सरकारी कंपनियों को सब्सिडी के माध्यम से मुक्त बाज़ारों को विकृत करने के उसके व्यवहार, उसकी नीतियों से असहमति वाले देशों के निर्यात को रोकने या सौदों को रद्द करने के उसके क़दम, तथा मछली पकड़ने संबंधी उसकी अवैध, गुप्त और अनियंत्रित गतिविधियों को लेकर बहुत चिंता व्याप्त है। पूरे क्षेत्र के देश उसके इस व्यवहार में बदलाव चाहते हैं।

हम भी यही चाहते हैं, और इसलिए हम दक्षिण चीन सागर में नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए कटिबद्ध हैं, जहां बीजिंग की आक्रामक कार्रवाइयों से हर साल 3 ट्रिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के सामानों की आवाजाही को ख़तरा है।

यह याद रखने की ज़रूरत है कि 3 ट्रिलियन डॉलर की इस विशाल राशि पर दुनिया भर में लाखों लोगों की वास्तविक आजीविका और हित निर्भर हैं। जब व्यापार के लिए समुद्र मुक्त नहीं हों, तो इसका मतलब होता है किसानों को अपनी उपज बेचने से रोकना; कंपनियों को अपने माइक्रोचिप के निर्यात से रोकना; और अस्पतालों को जीवनरक्षक दवाएं खरीदने से रोकना।

पांच साल पहले, एक अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण ने एक सर्वसम्मत और क़ानूनी रूप से बाध्यकारी निर्णय में दक्षिण चीन सागर में गैरक़ानूनी और विस्तारवादी समुद्री दावों को अंतरराष्ट्रीय कानून से असंगत बताते हुए दृढ़ता से खारिज कर दिया था। हम और अन्य देश, जिनमें दक्षिण चीन सागर के दावेदार देश भी शामिल हैं, इस तरह के व्यवहार का विरोध जारी रखेंगे। इस कारण से भी ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता में हमारा स्थायी हित है, जोकि हमारी पुरानी प्रतिबद्धताओं के अनुरूप है।

दूसरे, हम क्षेत्र के भीतर और बाहर मज़बूत संबंध बनाएंगे। हम जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, फिलीपींस और थाईलैंड के साथ अपने संधि गठबंधनों को सुदृढ़ करेंगे। इन गठबंधनों ने लंबे समय से इस क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और समृद्धि की नींव रखी है। हम इन सहयोगी देशों के बीच भी अधिक आपसी सहयोग को बढ़ावा देंगे। अमेरिका-जापान-दक्षिण कोरिया त्रिपक्षीय सहयोग को गहरा करके तथा ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ एक नया ऐतिहासिक सुरक्षा सहयोग समझौता शुरू करके हमने यही किया है। हम अपने सहयोगियों और साझेदारों को एक साथ जोड़ने के तरीके़ खोजेंगे, जैसा कि हमने क्वाड को मज़बूत करके किया है। और हम एक मज़बूत और स्वतंत्र आसियान के साथ अपनी साझेदारी को सुदृढ़ करेंगे।

आसियान की केंद्रीयता का अर्थ है कि हम हिंद-प्रशांत पर आसियान के दृष्टिकोण और हमारे दृष्टिकोण के बीच सामंजस्य को देखते हुए, इस क्षेत्र के साथ अपने जुड़ाव को और अधिक गहरा करने के लिए आसियान के साथ और उसके माध्यम से काम करना जारी रखेंगे।

अक्टूबर में, राष्ट्रपति बाइडेन ने जनस्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण पर ज़ोर देते हुए प्रमुख क्षेत्रों में आसियान के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए 100 मिलियन डॉलर से अधिक के निवेश की घोषणा की थी। और राष्ट्रपति आने वाले महीनों में आसियान के नेताओं को अमेरिका में एक शिखर सम्मेलन में आमंत्रित करेंगे ताकि हम अपनी रणनीतिक साझेदारी को मज़बूत करने के उपायों पर चर्चा कर सकें।

हम इस क्षेत्र के अन्य देशों – सिंगापुर, वियतनाम, मलेशिया और निश्चित रूप से इंडोनेशिया – के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत कर रहे हैं। और मेरी इस यात्रा की यही वजह है।

हम अपने लोगों के बीच संबंधों को भी प्रगाढ़ कर रहे हैं। वायएसईएएलआई, दक्षिण पूर्व एशिया में नेताओं की उभरती पीढ़ी को सशक्त बनाने वाला मुख्य कार्यक्रम है, जिसके 150,000 से अधिक सदस्य हैं और यह संख्या बढ़ती ही जा रही है।

अंत में, हम हिंद-प्रशांत में अपने संबंधों को क्षेत्र से परे गठबंधनों और साझेदारी की एक बेजोड़ प्रणाली के साथ जोड़ने के लिए काम करेंगे, विशेष रूप से यूरोप में। यूरोपीय संघ ने हाल ही में हिंद-प्रशांत रणनीति जारी की है जो हमारे अपने दृष्टिकोण से बहुत मिलती है। नैटो में, हिंद-प्रशांत के बढ़ते महत्व के अनुरूप हम अपनी सामरिक अवधारणा को अद्यतन कर रहे हैं, और जलवायु संकट के सुरक्षा निहितार्थ जैसे नई चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। और हम साझेदारों के साथ अपने काम के केंद्र में आसियान की केंद्रीयता को रख रहे हैं। हमने कुछ दिन पहले ब्रिटेन में जी7 मंत्रियों की बैठक के दौरान ऐसा ही किया था, और तब पहली बार जी7 मंत्री बैठक के दौरान अपने आसियान समकक्षों से मिले थे।

इन सबके पीछे एक सरल सी वजह है: यह हमें किसी भी चुनौती से निपटने के लिए, किसी भी अवसर का लाभ उठाने के लिए, किसी भी लक्ष्य की ओर काम करने के लिए एक व्यापक, सर्वाधिक प्रभावी गठबंधन बनाने में सक्षम बनाता है। जितने अधिक देशों को हम साझा हितों के इर्दगिर्द एकजुट करेंगे, हम उतने ही मज़बूत होंगे।

तीसरे, हम व्यापक आधार वाली समृद्धि को बढ़ावा देंगे। अमेरिका पहले ही हिंद-प्रशांत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक का योगदान कर चुका है। क्षेत्र से हमने तेज़ और स्पष्ट आवाज़ सुनी है कि वे हमसे और अधिक काम की अपेक्षा करते हैं। हम इस आग्रह को पूरा करने का इरादा रखते हैं। राष्ट्रपति बाइडेन के निर्देश पर, हम अपने साझा उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए एक व्यापक हिंद-प्रशांतीय आर्थिक ढांचा विकसित कर रहे हैं, जिसमें व्यापार और डिजिटल अर्थव्यवस्था, प्रौद्योगिकी, मज़बूत सप्लाई चेन, अकार्बनीकरण एवं स्वच्छ ऊर्जा, बुनियादी ढांचा, श्रम मानक और साझा हित के अन्य क्षेत्र शामिल हैं।

हमारी कूटनीति इसमें अहम भूमिका निभाएगी। हम उन अवसरों की पहचान करेंगे जो अमेरिकी कंपनियों को अपने दम पर नहीं मिल रहे हैं, और उनके लिए अपनी विशेषज्ञता और पूंजी को नए स्थानों और नए क्षेत्रों में लाना आसान बना देंगे। हमारे राजनयिक मिशन और पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में हमारे दूतावास पहले से ही इस पर काफी काम कर चुके हैं, और हम क्षमता बढ़ाने जा रहे हैं ताकि वे और अधिक काम कर सकें। इस साल के हिंद-प्रशांत बिज़नेस फ़ोरम में मेरे साथ क्षेत्र के व्यापार जगत और सरकारों के 2,300 से अधिक नेता शामिल हुए थे, जिसकी हमने भारत के साथ सह-मेज़बानी की थी, और जहां हमने नई निजी क्षेत्र की परियोजनाओं में लगभग 7 बिलियन डॉलर के निवेश की घोषणा की।

हम बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए डेटा गोपनीयता और सुरक्षा जैसे प्रमुख मुद्दों पर नियमों को आकार देने के लिए अपने साझेदारों के साथ मिलकर काम करेंगे, लेकिन इस तरह से कि जिसमें हमारे मूल्य दिखें, और हमारे लोगों के लिए अवसरों के दरवाज़े खुलें। क्योंकि अगर हम ये नियम नहीं बनाएंगे, तो दूसरे बनाएंगे। और यदि ऐसा हुआ तो इस बात की पूरी आशंका है कि वे इस तरह से ये काम करेंगे कि जो हमारे साझा हितों या हमारे साझा मूल्यों को आगे नहीं बढ़ाता हो।

नवंबर में एपेक की बैठक में, राष्ट्रपति बाइडेन ने एक स्पष्ट दृष्टिकोण पेश किया कि हम इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए एक साझा राह कैसे बना सकते हैं। डिजिटल प्रौद्योगिकियों पर उन्होंने एक खुले, अंतरसंचालनीय, विश्वसनीय और सुरक्षित इंटरनेट की आवश्यकता के बारे में बात की, और साइबर सुरक्षा में निवेश और डिजिटल अर्थव्यवस्था मानकों को विकसित करने में हमारे मज़बूत हितों पर ज़ोर दिया, जो भविष्य में हमारी सभी अर्थव्यवस्थाओं को प्रतिस्पर्धी बना सकेगा। और जब अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि टाई और मैंने नवंबर में एपेक मंत्रिस्तरीय बैठक में अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का सह-नेतृत्व किया, तो हमने यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया कि प्रौद्योगिकी एक मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत के हित में हो।

हम निष्पक्ष और मज़बूत व्यापार व्यवस्था को भी बढ़ावा देंगे। आसियान सिंगल विंडो इसी से संबंधित है। इस परियोजना के तहत अमेरिका ने पूरे क्षेत्र में सीमा शुल्क समाशोधन के लिए एकल स्वचालित प्रणाली बनाने का समर्थन किया है। इसने व्यापार को अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाकर, तथा व्यापार के लिए लागत और उपभोक्ताओं के लिए क़ीमतों को कम करके व्यापार को सुव्यवस्थित करने में मदद की है। और, सीमा शुल्क व्यवस्था को कागज़ आधारित से डिजिटल बनाने के क़दम ने सीमा पार व्यापार को गतिशील बनाए रखना, यहां तक ​​​​कि लॉकडाउन के दौरान भी, संभव किया है।

महामारी के पहले वर्ष के दौरान, जो देश इस मंच पर सबसे अधिक सक्रिय थे, उनकी व्यापार गतिविधियों में 20 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जबकि अधिकांश अन्य सीमा पार व्यापार में गिरावट आ रही थी। और अक्टूबर में अमेरिका-आसियान शिखर सम्मेलन में, राष्ट्रपति बाइडेन ने सिंगल विंडो के लिए अतिरिक्त अमेरिकी समर्थन की प्रतिबद्धता जताई। हम अपनी सप्लाई चेन को अधिक सुरक्षित और अधिक मज़बूत बनाने के लिए साझेदारों के साथ काम करेंगे। मुझे लगता है कि हम सभी ने देखा है, महामारी के दौरान, कि सप्लाई चेन कितने कमज़ोर हैं और उनमें व्यवधान कितना नुक़सानदेह हो सकता है, जिसके उदाहरणों में मास्क और माइक्रोचिप्स की कमी और बंदरगाहों पर लगी भीड़ शामिल हैं।

हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुट करने के प्रयासों की अगुआई कर रहे हैं ताकि बाधाओं से पार पाने और भविष्य के झटकों के खिलाफ़ अधिकाधिक सुदृढ़ता सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा सके। राष्ट्रपति बाइडेन ने सप्लाई चेन की मज़बूती के मुद्दे पर लीडर्स समिट आयोजित किया। उपराष्ट्रपति हैरिस ने क्षेत्र की अपनी यात्रा के दौरान इसे अपनी बैठकों का मुख्य विषय बनाया। वाणिज्य मंत्री रायमोंडो ने अपनी हालिया यात्रा के दौरान ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, सिंगापुर और मलेशिया के साथ इस मुद्दे पर विचार-विमर्श किया। और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि टाई ने अंतरएजेंसी सप्लाई चेन ट्रेड टास्क फोर्स का शुभारंभ किया, तथा जापान, दक्षिण कोरिया और भारत की अपनी यात्रा में इस मुद्दे को उठाया। नए साल में, इन मुद्दों से निपटने के लिए वाणिज्य मंत्री जीना रायमोंडो और मैं ग्लोबल सप्लाई चेन फ़ोरम में दुनिया भर के सरकारी और निजी क्षेत्र के नेताओं के साथ मिलकर काम करेंगे। विश्व के अधिकांश उत्पादन और वाणिज्य के हब के रूप में, हिंद-प्रशांत क्षेत्र इन प्रयासों के केंद्र में होगा।

अंत में, हम बुनियादी ढांचे के अंतर को पाटने में मदद करेंगे। इस क्षेत्र के साथ-साथ दुनिया भर में, बुनियादी ढांचे की ज़रूरतों और उपलब्धता के बीच एक बड़ा अंतर है। बंदरगाह, सड़कें, पावर ग्रिड, ब्रॉडबैंड – ये सभी वैश्विक व्यापार के लिए, वाणिज्य के लिए, जुड़ाव के लिए, अवसरों के लिए, समृद्धि के लिए बुनियादी ज़रूरतें हैं। और ये हिंद-प्रशांत क्षेत्र के समावेशी विकास के लिए आवश्यक हैं। लेकिन हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सरकारी अधिकारियों, उद्योग जगत, श्रमिक संगठनों और समुदायों की बढ़ती चिंताओं को सुन रहे हैं कि बुनियादी ढांचे को सही नहीं करने का किया परिणाम होता है, जैसे कि जब इसका काम अपारदर्शी, भ्रष्ट प्रक्रियाओं के माध्यम से दिया जाता है, या जब ये विदेशी कंपनियों द्वारा निर्मित किए जाते हैं जोकि अपने स्वयं के श्रमिक लाते हैं, संसाधनों का दोहन करते हैं, पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं और समुदायों को कर्ज के दलदल में धकेलते हैं।

हिंद-प्रशांत के देश बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर चाहते हैं। लेकिन कई लोगों को लगता है कि यह बहुत महंगा है, या वे इसके लिए कोई सौदा नहीं होने के बजाय दूसरों द्वारा निर्धारित शर्तों पर खराब सौदे करने का दबाव महसूस करते हैं। इसलिए हम इस क्षेत्र के देशों के साथ काम करेंगे ताकि लोगों को उच्च गुणवत्ता और ऊंचे मानकों वाला इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराया जा सके जिसके कि वे हक़दार हैं। वास्तव में, हम पहले से ही ऐसा कर रहे हैं।

इसी सप्ताह ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ मिलकर, हमने माइक्रोनेशिया, किरिबाती और नौरू के साथ साझेदारी की घोषणा की, ताकि इन प्रशांत देशों में इंटरनेट कनेक्टिविटी में सुधार के लिए एक नई समुद्री केबल लाइन बिछाई जा सके। और 2015 के बाद से, क्वाड के सदस्यों ने क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के लिए सरकार समर्थित वित्त पोषण में 48 बिलियन डॉलर से अधिक प्रदान किए हैं। यह 30 से अधिक देशों में, ग्रामीण विकास से लेकर अक्षय ऊर्जा तक, हज़ारों परियोजनाओं का समर्थन करता है। इससे लाखों लोगों को फ़ायदा हो रहा है।

क्वाड ने हाल ही में और भी अधिक निवेश संभव करने के लिए एक बुनियादी ढांचा समन्वय समूह शुरू किया है, जो बुनियादी ढांचे समेत साझा प्राथमिकताओं वाले विभिन्न परियोजनाओं के लिए दक्षिण पूर्व एशिया के साथ साझेदारी करना चाहता है। अमेरिका इससे भी आगे जाकर योगदान करेगा। जून में हमारे जी7 साझेदारों के साथ आरंभ बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड कार्यक्रम आगामी वर्षों में पारदर्शी और स्थायी वित्तपोषण में सैकड़ों अरबों डॉलर जुटाने के लिए प्रतिबद्ध है। और ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ, हमने जी20, ओईसीडी और अन्य द्वारा विकसित मानकों के अनुरूप उच्च गुणवत्ता वाली बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को प्रमाणित करना शुरू करने के लिए ब्लू डॉट नेटवर्क शुरू किया है, ताकि अतिरिक्त निवेशकों को आकर्षित किया जा सके।

चौथे, हम अधिक सुदृढ़ हिंद-प्रशांत बनाने में मदद करेंगे। कोविड-19 महामारी और जलवायु संकट ने इस कार्य की तात्कालिकता को रेखांकित किया है। महामारी ने पूरे क्षेत्र में लाखों लोगों की जान ले ली है, जिसमें इंडोनेशिया के 143,000 से अधिक पुरुष, महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। इसने कारखानों की बंदे होने से लेकर पर्यटन के ठप पड़ने तक, बड़े पैमाने पर आर्थिक नुकसान पहुंचाया है।

अमेरिका हर क़दम पर इस क्षेत्र के लोगों के साथ रहा है, यहां तक ​​कि जब हम स्वदेश में महामारी से जूझ रहे थे उस दौरान भी। अमेरिका दुनिया भर में सुरक्षित और प्रभावी टीकों की 300 मिलियन खुराक बांट चुका है, जिनमें से 100 मिलियन से अधिक खुराक हमने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भेजी हैं। और उनमें से 25 मिलियन से अधिक खुराक इंडोनेशिया को मिले हैं। अगले साल के अंत तक हम दुनिया को टीकों की 1.2 अरब से ज्यादा डोज का दान कर चुके होंगे। और हमने इस क्षेत्र में ज़िंदगियां बचाने के लिए 2.8 बिलियन डॉलर से अधिक की अतिरिक्त सहायता प्रदान की है, जिसमें व्यक्तिगत सुरक्षा साधनों (पीपीई) से लेकर अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीजन तक के लिए, इंडोनेशिया को दी गई 77 मिलियन डॉलर की सहायता शामिल है। और हम यह सहायता नि:शुल्क प्रदान कर रहे हैं, बिना किसी शर्त के। इनमें से अधिकांश दान कोवैक्स के माध्यम से करके, हमने सुनिश्चित किया है कि उनका समतापूर्ण वितरण हो, आवश्यकता के आधार पर, नकि राजनीति के आधार पर।

साथ ही, हम महामारी को समाप्त करने के लिए अपने साझेदारों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। क्वाड वैक्सीन पार्टनरशिप इसमें अहम भूमिका निभा रही है। हम वित्तपोषण, निर्माण, वितरण, और जितनी जल्दी हो सके अधिकाधिक टीके लगाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। अलग-अलग देश अपना योगदान बढ़ा रहे हैं। भारत ने हाल ही में 2022 के अंत तक टीकों की अतिरिक्त 5 बिलियन खुराक का उत्पादन करने की प्रतिबद्ध जताई है। दक्षिण कोरिया और थाईलैंड भी अपने उत्पादन में तेज़ी ला रहे हैं।

हम निजी क्षेत्र को अपने प्रयासों से जोड़ रहे हैं। पिछले महीने मैंने जो मंत्रिस्तरीय बैठक बुलाई थी, उसमें हमने ग्लोबल कोविड कॉर्प्स शुरू किया था। यह अग्रणी कंपनियों का एक गठबंधन है जो विकासशील देशों में लॉजिस्टिक्स और टीकाकरण प्रयासों का समर्थन करने के लिए विशेषज्ञता, उपकरण और क्षमताएं प्रदान करेगा। इसमें टीकाकरण के अंतिम पड़ाव संबंधी सहायता भी शामिल है जोकि वास्तव में लोगों को टीके के लगाने के लिए महत्वपूर्ण है। हम दुनिया भर में अधिकाधिक इन अड़चनों का सामना कर रहे हैं। जहां टीकों का उत्पादन बढ़ा है, और उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में पहुंचाया भी जा रहा है, लेकिन फिर वे अंतिम पड़ाव की कठिनाइयों के कारण, लॉजिस्टिक्स की बाधाओं के कारण, लोगों को लगाए नहीं जा रहे हैं। इन समस्याओं को हल करने की आवश्यकता है, और हम बिल्कुल इसी पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

वायरस से लड़ने के साथ-साथ हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में और दुनिया भर में स्वास्थ्य तंत्रों का बेहतर पुनर्निर्माण कर रहे हैं, ताकि अगली महामारी को रोका जा सके, उसका पता लगाया जा सके और उसके खिलाफ़ प्रयास किए जा सकें। और अच्छी बात ये है कि, हम वास्तव में जानते हैं कि हमें ये काम कैसे करना है। अमेरिका दशकों से इस क्षेत्र में स्वास्थ्य तंत्रों को मज़बूत करने के लिए साझेदारों के साथ काम कर रहा है। अकेले आसियान में, हमने पिछले 20 वर्षों में जनस्वास्थ्य के लिए 3.5 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है। और हमारे पास अपने प्रयासों की सफलता के सबूत भी हैं, जनस्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधारों और धरातल पर बनाए गहरे रिश्तों, दोनों ही तरह से।

आसियान के लिए हमारे समर्थन के तहत राष्ट्रपति बाइडेन ने हाल ही में घोषणा की है कि हम यूए-आसियान हेल्थ फ्यूचर्स इनिशिएटिव के लिए 40 मिलियन डॉलर प्रदान करेंगे। इससे संयुक्त अनुसंधान में तेज़ी आएगी, स्वास्थ्य तंत्र मज़बूत बनेंगे और स्वास्थ्यकर्मियों की उभरती पीढ़ी को प्रशिक्षित किया जा सकेगा।

हम आसियान जनस्वास्थ्य आपात समन्वय प्रणाली के विकास में भी सहयोग कर रहे हैं। यह इस क्षेत्र के देशों को भविष्य की स्वास्थ्य आपदाओं संबंधी प्रयासों में समन्वय का समर्थन करेगी। और दक्षिण पूर्व एशिया में अमेरिकी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) का पहला क्षेत्रीय कार्यालय, जिसे हमने पिछले दिनों हनोई में खोला था, पहले से ही इन प्रयासों का धरातल पर समर्थन कर रहा है।

बेशक, जलवायु संकट एक और वैश्विक चुनौती है जिससे हमें मिलकर निपटना है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लोग पहले से ही इसके विनाशकारी प्रभावों को महसूस कर रहे हैं: दुनिया की 70 प्रतिशत प्राकृतिक आपदाएं इस क्षेत्र में आती हैं, और इस क्षेत्र के 90 मिलियन से अधिक लोग 2019 में जलवायु संबंधी आपदाओं से प्रभावित हुए थे। उसके अगले वर्ष, खुद हमारे यहां कैलिफ़ोर्निया के प्रशांत तटीय इलाक़ों ने अपने इतिहास की जंगल की आग की छह सबसे बड़ी घटनाओं में से पांच को झेला।

अब, इस क्षेत्र के कई शीर्ष उत्सर्जकों ने तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता को स्वीकार किया है, जैसा कि हमने कॉप26 में उनके द्वारा निर्धारित महत्वाकांक्षी संकल्पों में देखा। ग्लासगो में, इंडोनेशिया सहित हिंद-प्रशांत के 15 देशों ने अगले दशक में उत्सर्जन में 30 प्रतिशत की कटौती करने के लिए वैश्विक मीथेन संकल्प पर हस्ताक्षर किए। यदि सभी सबसे बड़े उत्सर्जक हमारे साथ जुड़ जाते हैं, तो यह हर जहाज़ को समुद्र से और हर विमान को आसमान से हटाने के मुक़ाबले ग्लोबल वार्मिंग घटाने में कहीं अधिक कारगर साबित होगा।

लेकिन केवल ख़तरों के चश्मे से ही जलवायु के बारे में सोचना एक भूल होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि दुनिया के हर देश को उत्सर्जन को कम करना होगा और जलवायु परिवर्तन के अपरिहार्य प्रभावों के लिए तैयार रहना होगा, और इसके लिए नई तकनीकों और नए उद्योगों की दिशा में आवश्यक परिवर्तन नई, अच्छी पगार वाली नौकरियों के सृजन के लिए पीढ़ियों में एक बार मिलने वाला अवसर प्रदान करेगा।

हमारा मानना है कि हिंद-प्रशांत में यह अवसर बहुतायत में मौजूद है, और हम इसके उपयोग के लिए अपने साझेदारों के साथ पहले से ही काम कर रहे हैं। केवल पिछले पांच वर्षों में, अमेरिका ने इस क्षेत्र में अक्षय ऊर्जा में निवेश के लिए 7 बिलियन डॉलर से अधिक जुटाए हैं। जैसे-जैसे हम अपने प्रयासों को आगे बढ़ा रहे हैं, हम साझेदारों का अनूठा समूह बना रहे हैं, जिसमें शामिल हैं: बहुपक्षीय संगठन और हिमायती समूह, व्यवसाय और परोपकारी संस्थाएं तथा शोधकर्ता और तकनीकी विशेषज्ञ।

उदाहरण के लिए क्लीन एज पहल की बात करते हैं, जिसे हम इस महीने शुरू कर रहे हैं, जो पूरे क्षेत्र में स्वच्छ ऊर्जा समाधानों को आगे बढ़ाने हेतु अमेरिका सरकार और निजी क्षेत्र की विशेषज्ञता और नवाचार को एक साथ लाएगी। या फिर आप राष्ट्रपति बाइडेन द्वारा हाल ही में यूएस-आसियान क्लाइमेट फ्यूचर्स पहल के लिए 20 मिलियन डॉलर से अधिक के योगदान की प्रतिबद्धता को ही देखें, या यूएस इंटरनेशनल डेवलपमेंट फ़ाइनेंस कॉरपोरेशन द्वारा पिछले सप्ताह घोषित 500 मिलियन डॉलर के वित्तपोषण पर विचार करें, जोकि भारत के तमिलनाडु में सौर निर्माण संयंत्र निर्माण में सहयोग करेगा।

अमेरिकी कंपनी फ़र्स्ट सोलर द्वारा बनाई जा रही इस फ़ैक्ट्री की वार्षिक क्षमता 3.3 गीगावाट की होगी, जोकि दो मिलियन से अधिक घरों को बिजली देने के लिए पर्याप्त है। इस संयंत्र के निर्माण और संचालन से भारत में हज़ारों नौकरियां पैदा होंगी, जिनमें से अधिकांश महिलाओं को मिलेंगी, और अमेरिका में सैकड़ों की संख्या में अतिरिक्त नौकरियां के अवसर बनेंगे। और यह उन तरीक़ों में से सिर्फ एक है जिनके ज़रिए अमेरिका 2030 तक 500 गीगावाट अक्षय ऊर्जा क्षमता के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पाने में भारत की, और इस तरह जलवायु आपदा से बचने में दुनिया की, मदद करेगा।

हालांकि हम इस बात को भी स्वीकार करते हैं कि, भले ही हरित अर्थव्यवस्था की दिशा में बढ़ने से बड़ी संख्या में नौकरियां पैदा होंगी, जोकि हमें विश्वास है कि पैदा होंगी, लेकिन सभी नए पद उन लोगों को ही नहीं मिलेंगे जिनकी इस परिवर्तन के दौरान पुराने उद्योगों और पुराने क्षेत्रों में नौकरियां जाएंगी। इसलिए हमारा एक दायित्व, एक प्रतिबद्धता, ये भी है कि हम सभी को साथ लेकर चलेंगे।

पांचवें, और अंत में, हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा को मज़बूत करेंगे। यहां ख़तरे उभर रहे हैं। उनके अनुरूप ही हमें अपने सुरक्षा दृष्टिकोण को विकसित करना होगा। हम हिंसक उग्रवाद और अवैध रूप से मछली पकड़े जाने से लेकर मानव तस्करी तक की हर चुनौतियों से निपटने के लिए घनिष्ठ नागरिक सुरक्षा सहयोग करेंगे। और हम ऐसी रणनीति अपनाएंगे जो राष्ट्रीय शक्ति के हमारे सभी साधनों – कूटनीतिक, सैन्य, खुफिया – को हमारे सहयोगी देशों और हमारे साझेदारों के साधनों के साथ जोड़ सके। हमारे रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन इसे "एकीकृत निरोधक" कहते हैं।

और यह हमारी ताक़त को बढ़ाने से संबंधित है ताकि हम शांति बनाए रख सकें, जैसा कि हमने दशकों से इस क्षेत्र में किया है। हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र में संघर्ष नहीं चाहते हैं। इसलिए हम कोरियाई प्रायद्वीप को परमाणु मुक्त करने के अंतिम लक्ष्य के साथ उत्तर कोरिया (डीपीआरके) के साथ गंभीर और निरंतर कूटनीति के हामी हैं। हम उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों से उत्पन्न ख़तरे से एक व्यवस्थित और व्यावहारिक दृष्टिकोण के सहारे निपटने के लिए सहयोगी देशों और साझेदारों के साथ काम करेंगे, साथ ही साथ अपने विस्तारित निरोधक को भी मज़बूत करेंगे।

और इसीलिए राष्ट्रपति बाइडेन ने पिछले महीने राष्ट्रपति शी से कहा कि दोनों देशों के ऊपर यह सुनिश्चित करने की महती ज़िम्मेदारी है कि हमारे देशों के बीच प्रतिस्पर्धा संघर्ष में न बदले। हम उस ज़िम्मेदारी को अत्यंत गंभीरता से लेते हैं, क्योंकि ऐसा करने में नाकामी हम सभी के लिए विनाशकारी होगी।

14 फरवरी 1962 को, अमेरिका के अटॉर्नी जनरल, रॉबर्ट एफ़. केनेडी, इस विश्वविद्यालय में संबोधन के लिए आए थे। उन्होंने हमारे लोगों द्वारा किए गए लंबे साझा संघर्षों के बारे में बात की थी जिसे, उन्हीं के शब्दों में, आज यहां मौजूद छात्रों जैसे युवाओं को आगे बढ़ाना होगा। और उन्होंने एक ऐसा उद्धरण पेश किया जो उनके भाई और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ़. केनेडी ने दुनिया के प्रति हमारे दृष्टिकोण के बारे में कहा था। राष्ट्रपति केनेडी ने कहा, "हमारा मूल लक्ष्य वही रहता है: एक शांतिपूर्ण दुनिया, मुक्त और स्वतंत्र राज्यों का एक समुदाय, जो अपने भविष्य और अपने शासन तंत्र को चुनने के लिए स्वतंत्र हों, जब तक कि यह दूसरों की स्वतंत्रता के लिए ख़तरा न बनता हो।"

राष्ट्रपति केनेडी द्वारा इन शब्दों को बोले जाने के बाद लगभग 70 वर्षों में हुए तमाम परिवर्तनों के बाद भी, यह उल्लेखनीय है कि वह उक्ति हमारे द्वारा साझा किए गए दृष्टिकोण से कितना अधिक मिलती है। और मैं इस विश्वविद्यालय में, अपने युवा नेतृत्व कार्यक्रमों के इतने सारे छात्रों और पूर्व छात्रों की उपस्थिति में, इस बात को उद्धृत करने के लिए ख़ुद को इसलिए धन्य समझता हूं कि आज भी आप ही वो युवा हैं जो उस परिकल्पना को आगे बढ़ाएंगे। और आप जान लें कि आपके साथ अमेरिका सहित पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ऐसे लोग मौजूद हैं, जिनकी उम्मीदें और नियति आपके साथ संबद्ध हैं, और जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र को, जिसमें हम भी शामिल हैं, को अधिक खुला और अधिक मुक्त बनाने में आपके पक्के साझेदार होंगे।

मेरी बातों को सुनने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। (तालियां।)


मूल स्रोत:  https://www.state.gov/a-free-and-open-indo-pacific/

अस्वीकरण: यह अनुवाद शिष्टाचार के रूप में प्रदान किया गया है और केवल मूल अंग्रेज़ी स्रोत को ही आधिकारिक माना जाना चाहिए।

 


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